चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यकाल को 1 साल से बढ़ाकर 5 साल करने का बड़ा प्रस्ताव लोकसभा में रखा गया है। सांसद मनीष तिवारी ने निजी सदस्य विधेयक पेश करते हुए कहा कि हर साल नेतृत्व बदलने से शहर की योजनाएं अटक जाती हैं और प्रशासन में अस्थिरता बनी रहती है। उनका कहना है कि चंडीगढ़ जैसा तेजी से आगे बढ़ता शहर स्थिर नेतृत्व का हकदार है।
सांसद ने तर्क दिया कि शहर में ट्रैफिक, जल निकासी, प्रदूषण नियंत्रण और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट 5–10 साल चलते हैं, ऐसे में मेयर का सिर्फ 1 साल का टर्म शहर के विज़न को हर साल बदल देता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और कई बड़े शहरों की तरह यहां भी 5 साल का कार्यकाल होना चाहिए, ताकि काम की निरंतरता बनी रहे और जवाबदेही तय हो सके।
विधेयक में मेयर के चुनाव का तरीका, अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया, पद रिक्त होने पर प्रावधान और अधिकारों की सीमा को भी 5 वर्षीय ढांचे के हिसाब से बदलने का सुझाव दिया गया है। सांसद का कहना है कि हर साल चुनाव होने से राजनीतिक खींचतान, हॉर्स ट्रेडिंग और प्रशासनिक टकराव बढ़ जाते हैं, जिनका सीधा असर शहर के विकास पर पड़ता है।
अब यह निजी सदस्य विधेयक आगे बढ़ने के लिए सरकार के समर्थन और सदन में बहुमत का इंतज़ार करेगा। यदि यह पास हो गया तो 1994 से चली आ रही व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा और मेयर को अधिक अधिकार मिलेंगे। इससे शहर में बड़े प्रोजेक्ट लगातार और तेज़ रफ्तार से पूरे किए जा सकेंगे।