भारतीय इक्विटी मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स (खुदरा निवेशकों) का उत्साह थमने का नाम नहीं ले रहा है. बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव हो या इक्विटी इंडेक्स से रिटर्न कम मिलता दिखे, भारतीय निवेशक सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) में निवेश करना नहीं छोड़ रहे हैं. यह वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) अब एक संस्कृति का रूप ले रहा है.
नवंबर महीने में SIP का कुल योगदान लगभग ₹30,000 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यह आंकड़ा दर्शाता है कि आम निवेशक अब लंबी अवधि की निवेश की समझ विकसित कर रहे हैं. इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स ने इस प्रवृत्ति को निवेशकों की बढ़ती परिपक्वता (Maturity) और स्मार्ट फाइनेंशियल डिसिप्लिन का स्पष्ट संकेत बताया है.
कम रिटर्न के बावजूद SIP में रिकॉर्ड वृद्धि क्यों?
यह जानना दिलचस्प है कि नवंबर में इक्विटी इंडेक्स ने सिर्फ $13\%$ का मामूली रिटर्न दिया था, लेकिन इसके बावजूद SIP इनफ्लो महीने-दर-महीने लगभग ₹400 करोड़ बढ़ गया.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, निवेशक अब यह समझ चुके हैं कि SIP बाजार की चाल के लिए प्रतिक्रिया (Reaction) नहीं है, बल्कि एक अटल अनुशासन है. निवेशक अब इस मंत्र पर कायम हैं कि बाजार गिरता है तो भी निवेश जारी रखना है और चढ़ता है तो भी, क्योंकि लंबी अवधि में औसत लागत का लाभ (Rupee Cost Averaging) देते हुए यही तरीका सबसे बेहतरीन रिटर्न देता है.
SIP कैंसिलेशन की बढ़ती संख्या: एक चिंता का विषय
हालांकि, एक पहलू पर नजर रखना जरूरी है – SIP कैंसिलेशन. पिछले दो महीनों में SIP कैंसिलेशन की संख्या सामान्य से ज्यादा देखने को मिली है.
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अक्टूबर: 60 लाख ग्रॉस रजिस्ट्रेशन हुए, लेकिन शुद्ध वृद्धि (Net Addition) केवल 15 लाख रही.
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सितंबर: 57 लाख ग्रॉस रजिस्ट्रेशन हुए, लेकिन नेट एडिशन मात्र 13-14 लाख रहा.
इसका सीधा मतलब है कि नए निवेशक, जो बाजार की छोटी-छोटी गिरावटों से घबरा जाते हैं, वे बीच में ही अपना SIP बंद कर रहे हैं. यह दिखाता है कि अनुशासन की कमी अभी भी कुछ नए निवेशकों में बनी हुई है.
गोल्ड फंड्स में इनफ्लो क्यों घटा?
सोने के फंड्स (Gold Funds) में पिछले कुछ महीनों से अच्छी इनफ्लो आ रही थी, लेकिन नवंबर में इसमें कमी देखी गई. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसकी वजह है कि कई निवेशकों ने प्रॉफिट बुकिंग की. सोने की कीमतों को लेकर निवेशकों में मिश्रित भावनाएं बनी हुई हैं – कुछ कीमतों में गिरावट की आशंका जता रहे हैं, जबकि कुछ अभी भी बुलिश (तेजी) हैं, जिसके कारण गोल्ड फंड्स में इनफ्लो कमजोर रहा.
थीमैटिक फंड्स का बढ़ता क्रेज और चेतावनी
पिछले दो से तीन सालों में डिफेंस, कंजम्प्शन, पैसिव और इंटरनेशनल थीम्स वाले थीमैटिक फंड्स बेहद लोकप्रिय हुए हैं. पिछले साल ही 100 से ज्यादा नए थीमैटिक NFO (New Fund Offers) लॉन्च हुए.
लेकिन एक्सपर्ट्स ने साफ चेतावनी दी है कि थीमैटिक फंड को पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा न बनाएं. इसका कारण है इनमें कंसंट्रेशन रिस्क (Concentration Risk) का ज्यादा होना. उन्होंने याद दिलाया कि 2003-05 के दौरान इंफ्रा थीम बहुत तेजी से चला था, लेकिन बाद में कई सालों तक उसका प्रदर्शन कमजोर रहा. एक विविधीकृत (Diversified) फंड में आप बिना रिस्क बढ़ाए ही अच्छे थीम्स का लाभ ले सकते हैं.
मिडकैप – स्मॉलकैप में बढ़ा विश्वास
नवंबर में मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स में भी फिर से ज्यादा इनफ्लो देखने को मिला. भले ही पिछले साल इनका प्रदर्शन औसत रहा हो, लेकिन निवेशक इन्हें भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से जोड़कर देख रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि लार्जकैप पूरी तरह से भारत की ग्रोथ को रिप्रेजेंट नहीं कर पाते. कई उभरते सेक्टर मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में ही मिलते हैं, इसलिए SIP इनके लिए बेहतरीन एंट्री स्ट्रैटेजी है.