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नासिक में लगातार बढ़ रही बच्चों की असमय मौतें, निर्माण स्थलों की लापरवाही बनी खतरा

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Posted On:Wednesday, December 10, 2025

महाराष्ट्र के नासिक शहर में हाल के महीनों में बच्चों की दर्दनाक और असमय मौतों ने पूरे प्रशासन और समाज को झकझोर कर रख दिया है। शहर में अधिकतर घटनाएं कंस्ट्रक्शन साइट्स पर हो रही हैं, जहां सुरक्षा इंतजाम नाम मात्र के हैं। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि मजदूर परिवारों के बच्चों के लिए न तो सुरक्षा दीवार है, न निगरानी और न ही कोई सुरक्षित खेलने की जगह।

अश्विननगर की घटना: 3 साल के कार्तिक की दर्दनाक मौत

सबसे ताज़ा मामला नासिक के अश्विननगर इलाके से सामने आया है। 8 अक्टूबर को पाथर्डी फाटा के पास एक प्रतिष्ठित कॉलेज के समीप चल रहे निर्माण कार्य स्थल पर 3 साल के कार्तिक की मौत गर्म पानी से झुलसने के कारण हुई। कार्तिक के परिवार के सदस्य मजदूरी कर रहे थे और काम के दौरान परिवार ने नहाने के लिए गर्म पानी का पैन पास में रख दिया था। खेलते-खेलते कार्तिक वहां पहुंचा और अचानक उसी गर्म पैन पर बैठ गया, जिससे उसका शरीर बुरी तरह जल गया।

बच्चे को तुरंत सिडको अस्पताल ले जाया गया, फिर उसे छत्रपति संभाजीनगर अस्पताल और वहां से आगे इलाज के लिए घाटी अस्पताल भेजा गया। तमाम प्रयासों और उपचार के बावजूद 21 अक्टूबर को कार्तिक ने दम तोड़ दिया। घटना के लगभग डेढ़ माह बाद 7 दिसंबर को अंबाड पुलिस स्टेशन में एक्सीडेंटल डेथ का मामला दर्ज किया गया।

क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे हादसे?

नासिक में पिछले पांच महीनों में सात से अधिक बच्चों की मौत निर्माण स्थलों से जुड़े हादसों में हुई है।
मामलों का विश्लेषण बताता है कि इसका मुख्य कारण है:

  • साइट पर कोई सुरक्षा मानक न होना

  • खुले पानी के टैंक, सेप्टिक टैंक, स्टोरेज ड्रम

  • गर्म पानी या बिजली की वायरिंग की कोई निगरानी नहीं

  • मजदूरों के बच्चों के लिए अलग सुरक्षित जगह का अभाव

  • माता-पिता का काम में व्यस्त होना और बच्चों की निगरानी में कमी

कई कंस्ट्रक्शन लोकेशनों पर न तो सुरक्षा बोर्ड लगे होते हैं, न ही कोई बैरिकेडिंग या चेतावनी संकेत। परिणामस्वरूप, बच्चे खुले क्षेत्र में खेलते हैं और हादसे के शिकार हो जाते हैं।

फरवरी से अक्टूबर तक मौतों की सूची ने किया सबको स्तब्ध

तारीख स्थान मौत का कारण उम्र
7 फरवरी जेल रोड उबलती चाय गिरने से मौत डेढ़ साल
27 फरवरी खारजुल माला पानी के गड्ढे में डूबना 2 साल
10 मार्च शिंदेवस्ती मच्छर मारने वाली दवा पीना 2 साल
22 मार्च अंबड़ MIDC पानी की बाल्टी में गिरना 4 साल
6 अप्रैल निर्माणाधीन संरचना पानी के टैंक में डूबना 18 महीने
16 मई केवल पार्क उबलते पानी में गिरना डेढ़ साल
8 अक्टूबर अश्विननगर गर्म पानी के पैन में बैठना 3 साल

इन घटनाओं ने साफ संकेत दिया है कि निर्माण कंपनी, ठेकेदार और स्थानीय प्रशासन सुरक्षा मानकों को गंभीरता से नहीं ले रहे।

प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल

मामलों में ज्यादातर एक्सीडेंटल डेथ के तहत दर्ज किए गए हैं, लेकिन:

  • सुरक्षा की कमी के लिए किसकी जिम्मेदारी तय होगी?

  • मजदूरों के बच्चों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल कब लागू होंगे?

  • क्या साइट सुपरवाइजर या ठेकेदारों पर कोई कानूनी कार्रवाई होगी?

इन सवालों के जवाब अब तक स्पष्ट नहीं हैं।

क्या जरूरी है आगे?

  • निर्माण स्थलों पर सुरक्षा बैरिकेड और CCTV अनिवार्य

  • मजदूरों के बच्चों के लिए चाइल्ड सेफ ज़ोन

  • ठेकेदारों पर लापरवाही का केस

  • नियमित सुरक्षा निरीक्षण

  • पानी के टैंक, ड्रेनेज और गर्म उपकरणों पर कवर अनिवार्यता


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