रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा (गुरुवार को शुरू होकर) पूरी हो चुकी है। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर पुतिन का एयरपोर्ट पर स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच की गर्मजोशी भरी दोस्ती को दर्शाता है। पुतिन को भारत में मिले इस भव्य और असाधारण स्वागत ने पश्चिमी देशों के मीडिया जगत में हलचल मचा दी है।
रूस के सरकारी टीवी चैनलों ने इस स्वागत को लेकर पश्चिमी मीडिया पर सीधा हमला बोला है। BBC में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को प्रसारित रूसी पॉलिटिकल शो में एंकरों ने दावा किया कि भारत में पुतिन के भव्य स्वागत ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ को परेशान कर दिया है।
रूसी एंकर का तीखा बयान: 'पश्चिम की धमकियाँ बेअसर'
रूसिया-1 चैनल के लोकप्रिय शो ‘60 मिनट’ की एंकर ओल्गा स्काबेयेवा ने कार्यक्रम की शुरुआत ही एक तीखे बयान से की, जिसने पश्चिमी देशों की नीतियों पर सीधा सवाल उठाया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी दबाव के बावजूद, भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा। उनके अनुसार, भारत का यह रुख ही पश्चिमी ताकतों को सबसे ज्यादा चुभ रहा है।
विदेशी मीडिया रिपोर्टों का हवाला
रूसी टीवी ने कई यूरोपीय और पश्चिमी मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए अपने दावे को पुख्ता किया।
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फ़्रांस का 'Le Monde': इस अखबार ने लिखा कि मोदी ने पश्चिमी दबाव को ठुकराकर पुतिन का रेड-कार्पेट स्वागत कर ‘ग्लोबल साउथ के लिए मिसाल’ पेश की है।
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जर्मन दैनिक 'FAZ': इस दैनिक के अनुसार, अमेरिका की ओर से भारत पर $\text{50\%}$ टैरिफ लगाने की धमकी के बावजूद, मोदी का यह कदम ‘सीधा संदेश’ है कि नई दिल्ली अपने विदेशी नीति के फैसले खुद लेता है।
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ब्रिटिश मीडिया: स्काबेयेवा ने दावा किया कि ब्रिटिश मीडिया ने भी पुतिन के स्वागत को ‘पश्चिम के लिए कूटनीतिक झटका’ बताया।
यूरोप हो रहा अलग-थलग, रूस नहीं
चर्चा में शामिल विदेश मामलों के विशेषज्ञ व्लादिमीर कोर्निलोव ने इस पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पुतिन का भारत दौरा वास्तव में यह दिखाता है कि यूरोप अलग-थलग हो रहा है, रूस नहीं।
एक अन्य रूसी विश्लेषक अलेक्सी नौमोव ने कहा कि पीएम मोदी और पुतिन की निकटता ट्रंप प्रशासन के लिए एक ‘कड़वी सच्चाई’ है, जिसे पश्चिमी देश नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। रूसी मीडिया का यह रुख साफ करता है कि वे भारत के साथ अपने मज़बूत होते रिश्तों को एक कूटनीतिक जीत के तौर पर देख रहे हैं।