चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: चंडीगढ़ की एक अदालत ने दो साल पुराने अपहरण और रेप के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपित को बरी कर दिया। कोर्ट ने शादी के रिसेप्शन की तस्वीरें देखने के बाद कहा कि पीड़िता इन तस्वीरों में आरोपित के साथ “काफी खुश” दिखाई दे रही है। अदालत ने माना कि ऐसा प्रतीत नहीं होता कि किसी भी तरह का शारीरिक संबंध उसकी इच्छा के खिलाफ बनाया गया हो, और अगर कोई संबंध बने भी, तो वह उसकी अपनी सहमति से बने होंगे।
अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित ही नहीं कर पाया कि घटना के समय लड़की नाबालिग थी। इसी वजह से कोर्ट ने माना कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ सहमति से संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र थी। मामला 2023 का है, जब लड़की के पिता ने शिकायत दी थी कि उनकी 15 वर्षीय बेटी घर से बिना बताए चली गई और आरोपित उसे शादी का झांसा देकर अपने साथ ले गया। जांच के बाद पुलिस ने अपहरण, रेप और POCSO एक्ट के तहत आरोप लगाए थे।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपित ने लड़की को बहला-फुसलाकर दो साल तक कब्जे में रखा और कई बार जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। लेकिन ओसिफिकेशन और डेंटल टेस्ट में लड़की की उम्र 14 से 16 साल के बीच बताई गई, जबकि अदालत ने ‘दो साल मार्जिन ऑफ एरर’ के सिद्धांत को लागू करते हुए उसकी उम्र घटना के समय 18 साल से अधिक मानी।
अदालत ने यह भी नोट किया कि स्कूल रिकॉर्ड, नगर निगम रिकॉर्ड या कोई ठोस जन्म प्रमाण उपलब्ध नहीं कराया गया। ऐसे में यह साबित नहीं हुआ कि शादी या कथित संबंधों के समय लड़की नाबालिग थी। इसी आधार पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा और आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।