चंडीगढ़ न्यूज डेस्क: हरियाणा में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी है, जिस वजह से कई जगहों पर ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं की रफ्तार धीमी पड़ गई। यह हड़ताल सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर की जा रही है। एसोसिएशन का कहना है कि करीब 3,000 डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है। वहीं, कुछ जिलों में मरीजों ने बताया कि व्यवस्था सामान्य रही और इलाज बिना किसी बड़ी परेशानी के चलता रहा।
सरकार का दावा है कि वैकल्पिक इंतज़ाम कर दिए गए हैं, इसलिए मरीजों पर बड़ी मार नहीं पड़ी। लेकिन हकीकत यह भी है कि जहां डॉक्टर कम हैं, वहां लोगों को लंबी लाइनों में इंतज़ार करना पड़ा। कई अस्पतालों में स्टाफ को दोगुनी ड्यूटी करनी पड़ी ताकि सेवाएं पूरी तरह ना ठप हो जाएं।
इसी बीच मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने डॉक्टरों से शांति से समाधान निकालने की बात कही है। उनका कहना है कि डॉक्टरों की कई मांगें पहले मान ली गई हैं और बाकी पर बातचीत जारी है। मुख्यमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, इसलिए उम्मीद है कि वे जनता की तकलीफ समझेंगे और बातचीत से रास्ता निकालेंगे।
दूसरी तरफ प्रशासन ने सख़्ती भी दिखानी शुरू कर दी है। यमुनानगर में 66 डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं और 16 डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। ओपीडी संभालने के लिए मुलाना और ईएसआई अस्पताल से डॉक्टर बुलाए गए, ताकि मरीजों को इलाज मिल सके। अब सबकी नजरें बातचीत के नतीजे पर हैं, क्या डॉक्टर वापस काम पर लौटेंगे या टकराव आगे बढ़ेगा?